प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा

About Me

मेरा फोटो
Gautam RK
मैं हूँ... एक कहानी… जिसमें कोई किरदार नहीं, एक बादल... जिसमें नमी की एक बूँद नहीं, एक समन्दर… जिसमें सब कुछ है, जिसके लिए कुछ नहीं, और ऐसा ही सब कुछ… नाम है "रामकृष्ण"...
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

फ़ॉलोअर

अपनी भाषा में पढ़ें!

जनोक्ति डाट कॉम

RAJ -SAMAJ AUR JAN KI AAWAZ

चिट्ठाजगत!

चिट्ठाजगत

शीघ्र प्रकाशन!

चिट्ठाजगत

सक्रियता क्रमांक!

हवाले की कड़ी!

ब्लागवाणी!

Blogvani.com

क्लिक करें, पसंद बताएँ!


गुरुवार, अप्रैल 01, 2010
भारत समेत कई देशों में गुरुवार से नया वित्त वर्ष शुरू हो गया जिसकी परंपरा लगभग 400 वर्ष पुरानी है। इस परम्परा की शुरुआत भारत से गहरी जुड़ी है। वर्ष 1582 से पहले भारत के विभिन्ना हिस्सों में नवचंद्र वर्ष, वैशाखी, तमिल नव वर्ष, मलयालयम विशू दिवस और बांग्ला नव वर्ष एक अप्रैल को ही पड़ता था।देश में इस दिन को 'फसल दिवस के रूप में भी मनाया जाता था। इसी दिन वित्तीय कार्यकलाप शुरू करने को भी शुभ माना जाता था।

भारत तब दुनिया का प्रमुख केंद्र था और वैश्विक व्यापार में उसका हिस्सा 23 फीसदी था। इंग्लैंड ने भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 में की। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब केरल, तमिलनाडु और बंगाल में देखा कि भारतीय एक अप्रैल को नववर्ष मनाते हैं तो उसने वाणिज्यिक गतिविधियां शुरू करने के लिए इसे नव वर्ष के रूप में अपना लिया।


इससे पूर्व मुगल बादशाह अकबर ने वैशाखी दिवस को फसली वर्ष के रूप में मान्यता दी और वित्त वर्ष की शुरुआत इसी दिन से करना शुरू किया।

नहीं लिया इस्लामी कैलेंडर का सहारा
उनहोंने इस्लामी कैलेंडर का इस्तेमाल नहीं किया जिसमें 354 दिन होते हैं जो चंद्र वर्ष से ग्यारह दिन कम होते हैं। फसल उत्सव बाद में एक अप्रैल से 14 अप्रैल हो गया जिसकी वजह ग्रेगोरियन कैलेंडर में किया गया परिवर्तन था।


श्रोत : नईदुनिया दैनिक

3 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी है, गौतम जी। क्या इस विषय में कोई स्रोत उद्धृत कर सकते हैं?

अरुणेश मिश्र ने कहा…

तथ्यपूर्ण आलेख । बधाई ।

अजय कुमार ने कहा…

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

Related Posts with Thumbnails