प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा

About Me

मेरा फोटो
Gautam RK
मैं हूँ... एक कहानी… जिसमें कोई किरदार नहीं, एक बादल... जिसमें नमी की एक बूँद नहीं, एक समन्दर… जिसमें सब कुछ है, जिसके लिए कुछ नहीं, और ऐसा ही सब कुछ… नाम है "रामकृष्ण"...
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

फ़ॉलोअर

अपनी भाषा में पढ़ें!

जनोक्ति डाट कॉम

RAJ -SAMAJ AUR JAN KI AAWAZ

चिट्ठाजगत!

चिट्ठाजगत

शीघ्र प्रकाशन!

चिट्ठाजगत

सक्रियता क्रमांक!

हवाले की कड़ी!

ब्लागवाणी!

Blogvani.com

क्लिक करें, पसंद बताएँ!


रविवार, अप्रैल 25, 2010
अब तो ऐसा आ गया है जब इंसान ही इंसान की मदद नहीं करता। आज के लोग किसी असहाय की पीड़ा या मजबूरी को खुद के लिए मनोरंजन बना लेते हैं। मैं आपका परिचय कराता हूँ उस "महामानव" से जिसने मानवीय काया न पाकर भी मानवीयता का जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत किया है :

बन्दर की मानवीयता

तस्वीर में दो अंधे व्यक्ति हैं इस भीषण गर्मी में प्यास से बेहाल थे। वह अपनी प्यस बुझाने किसी तरह पानी के नल तक तो पहुंच गए लेकिन उनसे नल नहीं खोला गया। तभी वहां एक बंदर आया, उससे इनका कष्ट नही देखा गया और इन अंधे लोगों की मदद करने आगे आया। बंदर ने मानवसेवा का धर्म निभाते हुए नल की टोंटी खोल दी जिससे इन लोगों ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई। आज इंसान, इंसान के काम नही आता जबकि एक जानवर ने मानवसेवा करके मिसाल कायम कर दी।

(यह तस्वीर तमिलनाडु के एक शहर की किसी गली से प्रजावानी/किशोर कुमार बलोर ने अपने कैमरे में क़ैद की थी।)

2 टिप्पणियाँ:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

अद्भुत .....!!

ghughutibasuti ने कहा…

मेरे बगीचे में भी बन्दर आकर नल खोलकर पानी पीते थे, रोज सुबह, दोपहर और शाम।
घुघूती बासूती

Related Posts with Thumbnails