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- Gautam RK
- मैं हूँ... एक कहानी… जिसमें कोई किरदार नहीं, एक बादल... जिसमें नमी की एक बूँद नहीं, एक समन्दर… जिसमें सब कुछ है, जिसके लिए कुछ नहीं, और ऐसा ही सब कुछ… नाम है "रामकृष्ण"...
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रविवार, अप्रैल 25, 2010
"महामानव" की मानव सेवा...
3:43:00 am | प्रस्तुतकर्ता
Gautam RK |
संदेश का संपादन करें
अब तो ऐसा आ गया है जब इंसान ही इंसान की मदद नहीं करता। आज के लोग किसी असहाय की पीड़ा या मजबूरी को खुद के लिए मनोरंजन बना लेते हैं। मैं आपका परिचय कराता हूँ उस "महामानव" से जिसने मानवीय काया न पाकर भी मानवीयता का जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत किया है :
बन्दर की मानवीयता
तस्वीर में दो अंधे व्यक्ति हैं इस भीषण गर्मी में प्यास से बेहाल थे। वह अपनी प्यस बुझाने किसी तरह पानी के नल तक तो पहुंच गए लेकिन उनसे नल नहीं खोला गया। तभी वहां एक बंदर आया, उससे इनका कष्ट नही देखा गया और इन अंधे लोगों की मदद करने आगे आया। बंदर ने मानवसेवा का धर्म निभाते हुए नल की टोंटी खोल दी जिससे इन लोगों ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई। आज इंसान, इंसान के काम नही आता जबकि एक जानवर ने मानवसेवा करके मिसाल कायम कर दी।
(यह तस्वीर तमिलनाडु के एक शहर की किसी गली से प्रजावानी/किशोर कुमार बलोर ने अपने कैमरे में क़ैद की थी।)
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2 टिप्पणियाँ:
अद्भुत .....!!
मेरे बगीचे में भी बन्दर आकर नल खोलकर पानी पीते थे, रोज सुबह, दोपहर और शाम।
घुघूती बासूती
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